Friday, 9 November 2012

अस्तित्व

गर मे नहीं   तो तुम भी नहीं  
कैसे बचोगे गर मार डालोगे मुझे ?

बेटी रहेगी तो सृष्टि रहेगी !
और बढेंगी रौनकें इस जहां मे 

बिना मेरे अस्तित्व ना रहेगा तेरा 
बिचलित करती है यह तेरी निति 
हम सर्मिदा है तेरे इस नियति पर!

अपने वजूद की बाते करने वाले ?
बहता खून बनकर धमनियों में मेरा,

लबों की ख़ामोशी बहुत कुछ कह गयी
बेटी  हु ना  इसलिए सब कुछ सह गयी !


बहुत गहरा है मेरे होने में तेरा होना।
प्रक्रती का गूढ़ रहस्य है? रहस्य ही रहने दो.














दीपावली की हार्दिक सुभकामनाओ  के साथ!  


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