उठ मां,
मुझ से दो बातें करले
नो माह के सफर को
तीन माह में विराम
देने का निर्णय कर
तू चैन की नींद सोई है,
सच मान तेरे इस निर्णय से
तेरी यह बिटिया बहुत रोई है,
नन्ही सी अपनी अजन्मी बिटिया के
टुकड़े टुकड़े करवा
अपनी कोख उजाड़ दोगी!
सुन मां,
बस इतना कर देना
उन टुकडों को जोड़ कर
इक कफ़न दे देना,
ज़िन्दगी ना पा सकी
तेरे आँगन की चिड़िया
मौत तो अच्छी दे देना,
साँसे ना दे सकी ऐ मां,मुझे तू
मृत रूप में
अपने अंश को देख तो लेना
आख़िर
तेरा खून,तेरी सांसों की सरगम हूँ,
ऐ मां,मुझसे इतनी नफरत ना करना
मुझ से दो बातें करले
नो माह के सफर को
तीन माह में विराम
देने का निर्णय कर
तू चैन की नींद सोई है,
सच मान तेरे इस निर्णय से
तेरी यह बिटिया बहुत रोई है,
नन्ही सी अपनी अजन्मी बिटिया के
टुकड़े टुकड़े करवा
अपनी कोख उजाड़ दोगी!
सुन मां,
बस इतना कर देना
उन टुकडों को जोड़ कर
इक कफ़न दे देना,
ज़िन्दगी ना पा सकी
तेरे आँगन की चिड़िया
मौत तो अच्छी दे देना,
साँसे ना दे सकी ऐ मां,मुझे तू
मृत रूप में
अपने अंश को देख तो लेना
आख़िर
तेरा खून,तेरी सांसों की सरगम हूँ,
ऐ मां,मुझसे इतनी नफरत ना करना
3 comments:
Kavita bahut marmik hai tatha manviy samvednao se ot prot he. Achhi shuruat hai.Aage avshy likhe.
बहुत ही मार्मिक | आशा है भ्रंहत्या के पक्षधर इस दर्द को महसूस करेंगे
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