Friday 30 December 2011

मेरा फ़र्ज़

एक बहुत बड़ा पेड़ था जिसपर हज़ारों पक्षी रोज़ अपना बसेरा करते थे. किसी दिन उस पेड़ में आग लग गयी…तथापि पक्षियों ने उसी पेड़ पर रहते हुए जल मरने का निर्णय लिय…. कवि यह सब देख रहा है …. पक्षियों से पूछता है–आग लगी इस वृक्ष में जरन लगे सब पात
तुम पंछी क्यों जरत हौ…. जब पंख तुम्हारे पास
जलते जलते पक्षियों ने अपनी भावनाओं को कुछ इस तरह से व्यक्त किया -
फल खाए इस वृक्ष के गंदे कीन्हें पात….
अब फ़र्ज़ हमारा यही है कि जले इसी के साथ
भारत वर्ष कभी बलिदानियों और वीरों से खाली नहीं रहा है… सुख समृद्धि और आज़ादी ने हमारी प्राथमिकताएं बदल दी हैं. हम राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्व को भूल जाते हैं. विदेशी आक्रान्ताओं और अपने घर के भेदियों से इस देश का सीना बार बार छलनी किया गया. इसकी अस्मिता पर बार बार दाग लगाने की कोशिश की गयी किन्तु भारत सदैव अक्षुण्ण रहा –


****** जय हिंद *******

1 comments:

Rajput said...

Very nice Heart touchable.

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