माँ के बारे मे कुछ लिखने की कोशिश की है
सोचता रहा की क्या लिखू कहा से आगाज़ करू माँ तो अनंत है
पर एक छोटी सी कोशिश है !
आज "मां" का दिन है, लेकिन मां का सिर्फ आज नहीं हर दिन होता है, क्योंकि बिना मां के कोई दिन हो ही नहीं सकता..
"नींद अपनी भुला के सुलाया हमको,
आंसू अपने गिरा के हँसाया हमको,
ज़माना माँ -बाप कहता है जिनको ."
"दास्ताँ मेरे लाड प्यार की बस,
एक हस्ती के इर्द गिर्द घूमती है,
प्यार जन्नत से इस लिए हाय मुझे,
ये मेरी माँ के क़दम चूमती है.
हो गये जवान बच्चे ,
बूढ़ी हो रही है माँ
बे चिराग आँखों में ख्वाब बो रही ही
माँ
रोटी अपने हिस्से की दे के अपने बचो को
सब्र की रिदा ओढ़े भूकी सो रही ही
माँ
सांस की मरीज़ ही फिर भी ठन्डे पानी से
कितनी सख्त सर्दी में कपडे धो रही है
माँ
गैर की शिकायत पर फिर किसी शरारत पर
मार कर मुझे खुद ही रो रही है माँ
हे इश्वर हमारी माओं को हमेशा सलामत रखना
और
हमे इतनी शक्ति दे की हम अपनी माँ का ख्याल जिन्दगी भर रख सके.
माँ का क़र्ज़ कोई भी बेटा नहीं उतार सकता है !"
3 comments:
शानदार !
माता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ
bahut achhi line hai hkm
बहुत अच्छा लिखते हो सा
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