गत वर्ष जाते -जाते नव वर्ष के कान मेंअपनी पीड़ा यूँ कह गया कि आज तुम्हारा स्वागत हो रहा है तो इतराओ मत मैं भी पिछले साल यूँ ही इतराया था और खुद को यूँ भरमाया था. पर भूल गया थाकि बीता वक़्त कभी लौट कर नही आता तुम भी आज खूबजश्न मना लोक्यों कि जो आज तुम्हारा है वो कल तुम्हारा नही होगा आज जहाँ मैं खड़ा हूँ कल तुम वहाँ होंगे और जहाँ आज तुम हो वहाँ कल कोई और होगा .
Saturday, 31 December 2011
समय
गत वर्ष जाते -जाते नव वर्ष के कान मेंअपनी पीड़ा यूँ कह गया कि आज तुम्हारा स्वागत हो रहा है तो इतराओ मत मैं भी पिछले साल यूँ ही इतराया था और खुद को यूँ भरमाया था. पर भूल गया थाकि बीता वक़्त कभी लौट कर नही आता तुम भी आज खूबजश्न मना लोक्यों कि जो आज तुम्हारा है वो कल तुम्हारा नही होगा आज जहाँ मैं खड़ा हूँ कल तुम वहाँ होंगे और जहाँ आज तुम हो वहाँ कल कोई और होगा .
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