गावं मे स्थित गोगामेडी |
रायधना इसे आज कल नया नाम मिल गया है राइ का बाग़ ! नाम के अनुरूप यहाँ पर कुछ भी नहीं है ! आज के युग से कई साल पीछे चल रहा है !
मेरा गावं नागौर जिले की सीमा पर है यह मान लीजिये की आखरी गावं है ! इसके बुरब दिशा मे सीकर जिले की सीमा लग जाती है और उतर दिशा मे चुरू जिले की सीमा आ जाती है! यह गावं नागौर से अलग थलग पड़ता है इस कारण इस गावं का विकास होने का तो सवाल ही नहीं है! लगभग लोग जानते ही नहीं है इस गावं को ! यहाँ से नागौर की दुरी ८५ किलोमीटर है ! यातायात की बात करे तो यहाँ पर राजस्थान राज्य पथ परिवन निगम की कोई बस सेवा नहीं है! एक या दो निजी बस चलती है ! यहाँ पर पेयजल के लिए सीकर जिले के नेछ्वा कस्बे से पानी आता है वो भी फोलोरिड युक्त ! स्कूल के नाम पर यहाँ पर परामरी स्कूल है उसमे भी ५ से १० छात्र है अभी एक बालिका विधालय भी बना है उसका भी यही हाल है यहाँ के बच्चे आज भी कोठारी स्कूल या फिर कोई निजी संस्थान मे पढने जाते है रोज़ १० किलोमीटर पैदल जाते है ! अब चिकित्सा की बात कर लेते है! यहाँ पर सम्दायक सवास्थ्य केंद्र तो है पर वहा पर आज तक मुझे तो कोई कर्मचारी दिखाई नहीं दिया आज भी लोग समीप के कस्बे गनेडी ही जाते है वैध जी के पास या फिर सीकर जाते है नागौर और लाडनू तो जा ही नहीं सकते वहा के लिए साधन ही नहीं है! बस तो चलती नहीं है ! इस गावं ने सेना में चाहे वो थल सेना हो या फिर जल सेना तीनो सेनाओं मे निरंतर सेवा दी है ! यहाँ के लोग हर विभाग मे सेवा देते आ रहे है ! इस गावं का आज पिछड़े का सबसे बड़ा कारण राजनीती पिछड़ापन है!
यहाँ पर नेता जी सिर्फ चुनाव के टाइम पर ही आते है बाद मे वो ५ साल तक इस गावं के लिए अंतर्धान हो जाते है ! यह मेरे निजी विचार है!
5 comments:
आजादी के इतने सालों बाद भी बहुत से गावों के हालात जस के तस है |
लिखते रहे , सरकार न सही भगवान ही सुन ले |
yahi halat hai apke nahi bahut sare jaisalmer or badmer jile ke ganvo ki agar ap un ganvo ke dekhenge to heran rah jaoge
होसला रखिये ,समय के साथ शायद थोडा बहुत बदलाब आयेगा ही । ग़ांव के बारे मे उम्दा जांकारी के लिये धन्यवाद ।
prveen singh ransisar jodha
मेरा गाँव उदरासर आपका पडोशी है …आज भी वही हालत वंहा सरकारे पहुचती नही है
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