Thursday, 28 June 2012

एक सैनिक की पुकार

एक सैनिक की पुकार :-




"हे भारत माँ  जीना भी है  तेरे कदमो में, मरना भी है  तेरे कदमो मे
 है कसम  मुझे तेरे क़र्ज़  की, तेरे खातिर हँस हँस कर कुर्बान हो जवुगा !"

"हे भारत माँ मे  मर कर भी अमर हो जवुगा,पर तेरे आँचल में दाग ना लगाऊगा  !
हे भारत माँ  जीना भी है  तेरे कदमो में, मरना भी है  तेरे कदमो मे. हे भारत माँ ..."

"हे भारत माँ तेरे चरणों मे शीश चढाने आया हु,जितनी भी बची है  वो सांस चढाने आया हु
हे भारत माँ  जीना भी है  तेरे कदमो में, मरना भी है  तेरे कदमो मे हे भारत माँ ..."


"हे भारत माँ तेरा  लाल  वर्दी मे  आया  हूँ   पर  साथ कफ़न लाया  हूँ 
हे भारत माँ  जीना भी है  तेरे कदमो में, मरना भी है  तेरे कदमो मे"

"तिरगे मे लिपट कर जाऊगा  तेरे  शीश को ना झुकाऊगा  हे भारत माँ  ...
हे भारत माँ  जीना भी है  तेरे कदमो में, मरना भी है  तेरे कदमो मे हे भारत माँ ..."

यह कविता एक सैनिक  की अंतर आत्मा से निकली पुकार है, भारत के  हर जवान की एक ही चाहत होती है की वो देश के लिए कुछ करे , वो अपना सुब कुछ भारत माता को समर्पित कर देता है इतिहास के पनो पर वो एक अमिट छाप छोड़ जाता है ! और वो हमेसा हमेसा के लिए अमर हो जाता है !





                                            "मर कर भी जो अमर है उन्हें सहीद कहते है "
                                                                 "जय हिंद" 

1 comments:

Rajput said...

शानदार रचना .

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